नालंदा की धरती का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है. इसके कण-कण में अध्यात्म, ज्ञान, पौरूष एवं पराक्रम की कहानियां हैं. महाभारत काल से जुड़े कई धरोहर आज भी मौजूद हैं, जो हमारी गौरवशाली गाथा को बयां करने के लिए काफी है. इन विरासतों में बड़गांव स्थित सूर्य तालाब, रुक्मिण स्थान, राजगीर स्थित जरासंध अखाड़ मौजूद हैं.
वहीं, नालंदा का जगदीशपुर गांव भी अपने अंदर हमारे कई गौरवशाली अतीत समेटे है.इस गांव में रुक्मिणी स्थान नामक एक टीला है, जो भगवान श्रीकृष्ण तथा रुक्मिणी के प्रेम का प्रतीक है. श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का मिलन इसी स्थल पर हुआ था. इसलिए इस स्थल का नाम रुक्मिणी स्थान पड़ा है.
पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कुछ वर्ष पहले टीले की खुदाई के दौरान भगवान विष्णु के काले पत्थर की बेशकीमती मूर्ति निकली थी. अनुमान लगाया जाता है कि यह मूर्ति वैदिक काल की है, जिसमें भगवान विष्णु हाथ में कलश लिए और सिर के ऊपर शेष नाग के छत्र से सुशोभित हैं. यह मूर्ति पूरी तरह सुरक्षित निकाली गई है.
कोई शुभ कार्य से पहले होती है इनकी पूजा
इस संबंध में ग्रामीण संगीता देवी बताती हैं कि यहां सभी देवी देवता रहते हैं सूबे के विभिन्न इलाकों से लोग यहां पूजा के लिए आते हैं. मनोकामना मांगते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है.यहांबहुत शक्तिशाली देवता रहते हैं, मंदिर के पुजारी संदीप पांडे बताते हैं कि यह जगदीशपुर गांव है. यह रुक्मिणी स्थान के नाम से देश दुनिया में मशहूर है. यहां कोई भी शुभ कार्य होता है तो पहले इनकी पूजा की जाती है.उसके बाद ही शादी या फिर बच्चा जिनके यहां होता है पहले प्रसाद यहां चढ़ाते हैं और वह प्रसाद बुंदिया के रूप में होता है.अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उनके घर में अनहोनी हो जाती है.
यहां भगवान बुद्ध की जो प्रतिमा है उसे गांव के लोग भगवान श्रीकृष्ण के 9वें अवतार के रूप में मानते हैं. रुक्मिणी को जब भगवान श्रीकृष्ण ने बचाकर लाया था तो इसी रास्ते से गुज़र थे और यहां कुछ दिन विश्राम किया था. उसी वक्त यह भवन बनाया गया था जो अब मंदिर के रूप में है. एक टील्हा नुमा विस्थापित है.
जो भी प्रेमी मनोकामना मांगते हैं उनका प्रेम होता है सफल
वहीं, स्थानीय राज कुमार मिश्रा बताते हैं कि रुक्मिणी स्थान सामाजिक और धार्मिक दोनों महत्व है.इसे प्रेम का स्थल कहा जाता है. जब भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण किए थे, तो इसी जगह पर आकर विश्राम किए थे. उसी दौरान यहां रुक्मिणी माता का मंदिर बनाया गया था. जिसे देश दुनिया के लोग जानते हैं. यही नहीं नालंदा का इतिहास महाभारत काल का ही है.
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